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क्या होता है जब हाथी मर जाता है? मध्य प्रदेश में 10 हाथी की मौत के पीछे क्या थी वजह, पढ़ें Detail में

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में हाल ही में दस जंगली हाथियों की मौत के पीछे की वजह को लेकर गहरी चिंता जताई जा रही है. रिपोर्ट्स के अनुसार, इन हाथियों की मौत का कारण कोदो बाजरा में पाया गया विषाक्त पदार्थ था. इस घटना ने इस अनाज की सुरक्षा और उसके प्रभावों को लेकर नई चिंताएं उठाई हैं. आइए जानते हैं कोदो बाजरा के बारे में विस्तार से और कैसे यह जंगली हाथियों के लिए खतरनाक साबित हुआ.

कोदो बाजरा: एक सामान्य अनाज

कोदो बाजरा (Pearl Millet) एक प्रकार का अनाज है जिसे भारत में विशेष रूप से मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटका, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में उगाया जाता है. इसके अलावा, यह पाकिस्तान, फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, और पश्चिमी अफ्रीका में भी उगाया जाता है. यह बाजरा भारत के आदिवासी इलाकों में मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है और विभिन्न प्रकार के न्यूट्रिएंट्स जैसे विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है. यह बाजरा ग्लूटेन-फ्री और इजी-टू-डाइजेस्ट होता है, जो इसे पारंपरिक व्यंजनों में लोकप्रिय बनाता है.

  • कैसे मिला जहर कोदो बाजरा में?

कोदो बाजरा, जैसे कि अन्य फसलों में भी, फंगस से प्रभावित हो सकता है. हाल ही में बांधवगढ़ में हाथियों की मौत की वजह एरगॉट नामक फंगल इंफेक्शन है, जो विशेष रूप से सूखी परिस्थितियों में विकसित होता है. एरगॉट, जो कि घास की बालियों में उगता है, कोदो बाजरा की फसलों में भी पाया जाता है.

इसके अलावा, कोदो बाजरा में पाए जाने वाले कुछ अन्य विषाक्त तत्व, जैसे कि फिटोटॉक्सिन और साइनाइड के अणु, कच्चे या सही तरीके से पके बिना खाने पर हानिकारक हो सकते हैं. ये तत्व शरीर में विषाक्तता पैदा कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.

जलवायु परिवर्तन और फंगस का प्रभाव

जलवायु परिवर्तन ने फंगस के प्रभाव को और बढ़ा दिया है. कोदो बाजरा की फसल में फफूंद (मोल्ड) का संक्रमण बारिश और ओस के दौरान होता है. जब नमी आती है, तो यह सफेद और गुलाबी रंग के फंगस को उत्पन्न करता है, जो फसल में टॉक्सिन का उत्पादन करते हैं. यह टॉक्सिन ही कोदो बाजरा को विषाक्त बनाता है और जानवरों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

जानवरों पर प्रभाव

कोदो बाजरा में पाए जाने वाले विषैले तत्व विशेष रूप से जानवरों के दिल, नसों, और लिवर को प्रभावित करते हैं. यह टॉक्सिन उल्टी, चक्कर, बेहोशी, और नसों के तेज गति से चलने जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकते हैं. इसके अलावा, जानवरों में पाचन तंत्र के खराब होने के साथ-साथ लिवर फेल और दिल की मांसपेशियों का नुकसान भी हो सकता है. मध्य प्रदेश में मरे हुए हाथियों में इन लक्षणों के संकेत मिले थे, और यह संकेत करते हैं कि कोदो बाजरा द्वारा उत्पन्न विषाक्त पदार्थों ने जानवरों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया.

विशेषज्ञों की राय

डॉ. पीके चंदन, जो छत्तीसगढ़ के कनन पेंडारी जियोलॉजिकल गार्डन में कार्यरत हैं, का कहना है कि कोदो बाजरा में पाया जाने वाला जहर पहचान पाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि बाहर से यह बिल्कुल सामान्य दिखता है, लेकिन अंदर से यह काफी जहरीला होता है. नमी और अन्य पर्यावरणीय फैक्टर इसकी विषाक्तता को बढ़ा सकते हैं, जिससे यह जानवरों और अन्य जीवों के लिए खतरनाक हो जाता है.

Sagar Dwivedi

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