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लिख दिया हमने न पाएगा और फिर मौत को लगा लिया गले, आखिर क्यों कर रहे 20 से कम आयु के बच्चे सुसाइड? पढ़ें दिल्ली से लेकर राजस्थान तक की दर्दनाक स्टोरी

Suicide Case: मेरा बेटा बड़ा होगा तो अफसर बनेगा! ऐसे सभी माता – पिता सोचते होंगे जिसके बाद उन्हें पढ़ाने के लिए विदेश या देश के बड़े से बड़े कोचिंग संस्थानों में भेजते हैं लेकिन वहीं बेटा अपने इस जीवन में एक छोटी सी असफलता पा जाने के कारण अपनी जान गंवा देता और वह एक बार भी अपने परिवार की ओर नहीं देखता है कि मेरे परिवार वालों पर क्या बीतेगी.

मरने से पहले एक खत लिखता है यानी आसान शब्दों में कहें तो सुसाइड नोट जिसको कहां जाता है और उसमें अपनी मौत का कारण बताते हैं इस कारण मैंने यह कदम उठाया. अक्सर, बच्चों को यह एहसास नहीं होता कि असफलता एक सामान्य प्रक्रिया है और जीवन में आगे बढ़ने का एक हिस्सा है.

यहीं नहीं एक Word जो कि अंग्रेजी भाषा में चला है जिसको स्ट्रेस (Stress) कहते हैं जिसका शिकार आज कल की युवा पीढ़ी ज्यादातर हो रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुसाइड का मामला ज्यादातर 20 से कम आयु के बच्चों में देखा जाता है.

ज्यादातर सुसाइड नोट में एक ही Word- मुझे माफ करना हमसे न हो पाया? तो क्या मौत सही

इस बीच आज हम कुछ ऐसे आंकड़ें आपके सामने पेश करने जा रहे हैं जिसमें बच्चों के आत्महत्या का एक ही कारण है हमसे न हो पाएगा मम्मी पापा! तो कोई लिखता है दुनिया बड़ी मतलबी! तो किसी ने लिखा मुझे माफ करना मॉम डैड. इतना ही नहीं कोई तो ये भी लिखकर अलविदा कह देता है कि ये सब मोह माया है! तो कोई स्कूल में रैंगिग के कारण पंखे से लटक जाता है.

एक नजर बच्चों के सुसाइड का अड्डा में!

इसी कड़ी अब हम आ जाते हैं देश के टॉप कोचिंग संस्थान यानी राजस्थान के कोटा की जहां आएं दिन कोई न कोई छात्र या छात्रा अपने जीवन में छोटी सी असफलता के कारण मौत को गले लगा लेता है! और फिर क्या एक प्यारा सा सुसाइड नोट पड़ा मिलता है जिसमें मौत का कारण बताया गया होता है. आइए इस बीच इस खबर उन तमाम सुसाइड के बारे में एक बार नजर डालते हैं जिनकी आत्महत्या का कारण केवल पढ़ाई से जुड़ा है इसी के साथ इस खबर में जानते हैं कि इन बच्चों के मौत को गले लगाने के पीछे जिम्मेदार कहीं उनके परिजन ही तो नहीं!….

मुझे माफ करना…मैं ऐसा नहीं कर सकी

हाल हीं देश की राजधानी दिल्ली से एक छात्रा के आत्महत्या की खबर सामने आई है जो जिसमें बताया जा रहा है कि जामिया नगर की 17 साल की एक छात्रा ने 25 अक्टूबर को बिल्डिंग से कूदकर अपनी जान गवां दी है. पुलिस के अनुसार, लड़की ने इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (JEE) में पास न होने के बाद यह कदम उठाया. वह बारहवीं कक्षा पास करने के बाद इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थी. जामिया नगर के शाहीन बाग इलाके की एक सात-मंजिला इमारत से कूदकर उसने अपनी जान दे दी. छात्रा के पास से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उसने लिखा, “मुझे माफ कर देना, मैं ऐसा नहीं कर सकी. मैं जेईई परीक्षा पास नहीं कर सकी.”

सीनियर ने की रैंगिग… पंखे में लटकी छात्रा

एक खबर हैं उत्तर प्रदेश के झांसी की जहां एक छात्रा ने रात में अपने माता- पिता से फोन पर बात करती है और बताती है मम्मी- पापा सीनियर बहुत परेशान करते हैं तो माता-पिता अगले दिन बेटी से मिलते आते हैं और बेटी की लाश पाते हैं देखते हैं कि उनकी बेटी पंखे लटक रही है और इसके बाद उनके परिजन आरोप लगाते हैं कि ये स्कूल के सीनियर की वजह से हुआ है. बेटी की आयु की बात करें तो 14 वर्ष ही बताई जा रही है, यानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक के बेटी 9वीं की छात्रा थी.

सब मोह माया है! और फिर अलविदा

वहीं एक खबर हैं महाराष्ट्र के पुणे से हैं जहां एक युवक को सरकारी नौकरी नहीं मिलती है तो वह यह सुसाइड नोट में लिखता है कि MPPSC एक माया है. इसके पीछे मत भागो. जैसे-जैसे मैं बड़ा होता जा रहा हूं, बोझ बढ़ता जा रहा है. मेरा आत्मविश्वास कम हो रहा है मुझे प्री परीक्षा पास किए दो साल हो चुके हैं. मेरे ऊपर पहाड़ जैसा बड़ा कर्ज जमा हो गया है और इसे प्राइवेट नौकरी करके नहीं चुकाया जा सकता.’

राजस्थान का हाल

इसी के साथ अब हम देश के टॉप कोचिंग सस्थान राजस्थान के कोटा की बात करते हैं जहां हर दिन कोई न जाने कितने बच्चों को उनके माता पिता उन्हें एडविशन दिला रहे हैं और उसी के साथ घर में बैठे परिजन टीवी में देखते में देखते हैं या उनके पास फोन आता है आपका बेटा या बेटी सुसाइट कर लिया है/ ली है. आप फौरन आ जाइए इस खबर में हैं राजस्थान और कोटा के डाटा तो नहीं दे रहें क्योंकि गूगल पर न जाने कितने ऐसे मामले वहां के मिल जाएगे आपको!

Disclaimer-…. इस खबर की पुष्टि द मीडिया वॉरियर नहीं करता है यह इटरनेंट पर मिल रहे आकंड़ों के मुताबिक है जहां आएं दिन यह देखा और पढ़ा जाता है कि यहां के छात्र को मिली असलता तो कर ली आत्महत्या)

Sagar Dwivedi

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