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वैज्ञानिकों की बड़ी भविष्यवाणी, धरती से गायब हो जाएंगे मर्द! होश उड़ा देगी असली वजह

आज की दुनिया कहती है कलयुग आ गया है और कहा जाता है कि आज से समय में कुछ भी हो सकता है. इसी के साथ आए दिन कुछ न कुछ दावा करने व होने की खबर सामने आती है इस बीच वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा किया है जिसे आप सुनेंगे तो आपने पैरों के नीचे जमीन खिसक जाएगी की क्या सच में ऐसा हो जाएगा तो आइए इस खबर को विस्तार से जानते हैं.

यह रिपोर्ट वाकई में एक दिलचस्प और चिंताजनक विषय को उजागर करती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, इंसानों में पाया जाने वाला वाई क्रोमोसोम (Y chromosome) धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है, और कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि लाखों सालों बाद यह पूरी तरह से गायब हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पुरुषों का जन्म बंद हो सकता है. यह शोध प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुआ है और इसके मुताबिक, अगर यह प्रक्रिया जारी रही, तो भविष्य में केवल महिलाएं ही पैदा हो सकती हैं, क्योंकि पुरुषों का लिंग निर्धारण करने वाला य Chromosome (वाई क्रोमोसोम) धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है.

वाई क्रोमोसोम के सिकुड़ने के कारण:
वाई क्रोमोसोम में सिर्फ 45 जीन होते हैं, और उनमें से भी केवल एक जीन पुरुष लिंग का निर्धारण करता है. पहले इसमें लगभग 900 जीन होते थे, लेकिन यह संख्या घटकर 45 रह गई है. अगर यह सिकुड़ने की प्रक्रिया जारी रही, तो एक दिन यह पूरी तरह गायब हो सकता है.

ऑस्ट्रेलियाई आनुवंशिकीविद जेनी ग्रेव्स के मुताबिक, यह बदलाव धीरे-धीरे हो रहा है, और इसका कारण कोशिकीय विभाजन में उत्परिवर्तन (mutations) होना है. यद्यपि इस रिपोर्ट में कुछ समय (लगभग 70 लाख साल) का अनुमान लगाया गया है, लेकिन यह प्रक्रिया आगे चलकर एक नई जैविक स्थिति का कारण भी बन सकती है। जैसे कि कुछ प्रजातियों में देखा गया है, संभव है कि इंसान में भी लिंग निर्धारण के लिए नया तरीका विकसित हो.

क्या पुरुषों के गायब होने का खतरा वास्तविक है?
हालांकि, जेनी ग्रेव्स ने इस बात को नकारा नहीं किया कि वाई क्रोमोसोम में बदलाव हो सकता है, लेकिन उनका कहना है कि इसे लेकर घबराने की कोई बात नहीं है. इस प्रक्रिया में लाखों साल लग सकते हैं और इससे पहले नए लिंग निर्धारण जीन का विकास हो सकता है, जैसा कि कुछ अन्य प्रजातियों में हुआ है.

इसलिए, जबकि यह भविष्यवाणी चौंकाने वाली है, वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है और इससे पहले हो सकता है कि हमारी जैविक संरचना में बदलाव आ जाए.

Sagar Dwivedi

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