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Atul Subhash Case : अतुल सुभाष केस में अब तक क्या हुआ ? Details में पढ़ें

Atul Subhash Case : इन दिनों सोशल मीडिया पर एक 34 साल का युवा अतुल सुभाष छाया हुआ है, जो 9 दिसंबर 2024 को सुबह अपनी पत्नी और उसके परिवार के लोगों द्वारा परेशान किए जाने के कारण आत्महत्या कर ली.

मीडिया से बात करते हुए डीसीपी ने कहा,”अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर की सुबह आत्महत्या कर ली. इस संबंध में बेंगलुरु के मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई है. उत्तर प्रदेश में उसके खिलाफ कई मामले चल रहे थे.” अधिकारी ने कहा, “उसकी पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों ने इस मामले को निपटाने के लिए उससे पैसे मांगे और उसे परेशान किया. इन कारणों से उसने आत्महत्या कर ली. इस शिकायत के आधार पर हमने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. मामले की जांच चल रही है.”

उत्तर प्रदेश के जौनपुर के अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने भी मामले पर मीडिया से बात की और कहा, “हमें 9 दिसंबर को सूचना मिली कि उसने आत्महत्या कर ली है. आरोप उसकी पत्नी और उसकी मां, चाचा और भाई पर लगाए गए हैं.”

वकील ने कहा, “उसके खिलाफ उसकी पत्नी ने कई मामले दर्ज कराए थे, जिसमें से एक भरण-पोषण का मामला था– हम उस पर विचार कर रहे थे, इसके अलावा दहेज, मारपीट का मामला अन्य वकीलों द्वारा देखा जा रहा था. अतुल सुभाष बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले थे और काम के लिए बेंगलुरु में रह रहे थे. उन्होंने एक मामले के सिलसिले में मुझसे संपर्क किया था. अतुल और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा उनकी पत्नी के खिलाफ दहेज और मारपीट के मामले दर्ज किए गए थे.”

उन्होंने आगे कहा, “भरण-पोषण के लिए, इस जुलाई 2024 में अदालत द्वारा समझौता किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें अपने बेटे के लिए 20,000 रुपये देने होंगे, बाद में यह राशि बढ़ाकर 40,000 रुपये प्रति माह कर दी गई. पत्नी ने अदालत से अन्य राशियों के लिए भी अनुरोध किया था जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.”

बेंगलुरू के एक इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी द्वारा कथित उत्पीड़न का हवाला देते हुए आत्महत्या कर ली, जिसके बाद दहेज कानून के दुरुपयोग पर बहस शुरू हो गई है.

मुंबई की वकील आभा सिंह ने इस मामले को ‘कानून का घोर दुरुपयोग’ बताते हुए कहा कि झूठे आरोपों और उत्पीड़न के कारण पीड़ित की मौत हो गई, जो अपनी पत्नी और ससुराल वालों के उत्पीड़न से पीड़ित था.

वकील ने कहा, “महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए दहेज कानूनों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि अगर कुछ महिलाएं इन कानूनों का दुरुपयोग करने जा रही हैं, तो इससे उन महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाएगा, जिन्हें इसकी जरूरत है.”

दिल्ली की पुरुष अधिकार कार्यकर्ता बरखा त्रेहन ने कहा कि अतुल सुभाष को सिस्टम ने विफल कर दिया, जिसके कारण उन्हें आत्महत्या करनी पड़ी.

इस बीच, आत्महत्या के सिलसिले में 4 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. अतुल के भाई विकास कुमार की शिकायत के आधार पर बेंगलुरु के मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और बीएनएस की धारा 3 (5) (जब दो या दो से अधिक लोग एक ही इरादे से काम करते हैं तो संयुक्त आपराधिक दायित्व स्थापित करना) के तहत दर्ज की गई है. एफआईआर तकनीकी विशेषज्ञ की पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी सास निशा सिंघानिया, उनकी पत्नी के भाई अनुराग सिंघानिया और उनकी पत्नी के चाचा सुशील सिंघानिया के खिलाफ दर्ज की गई है. अतुल के भाई द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि अतुल सुभाष ने 2019 में निकिता सिंघानिया से शादी की और उनका एक बच्चा भी है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि चारों आरोपियों ने तलाक के बाद अतुल सुभाष के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया और मामले के निपटारे के लिए 3 करोड़ रुपये देने पर जोर दिया. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि अतुल सुभाष की पत्नी ने उन्हें अपने चार साल के बेटे से मिलने की अनुमति देने के लिए 30 लाख रुपये की मांग की थी. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अतुल ने मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित होने के कारण आत्महत्या कर ली. शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच चल रही है.

अपने सुसाइड नोट में अतुल सुभाष ने न्याय की मांग करते हुए 24 पन्नों के नोट के हर पन्ने पर लिखा, “न्याय मिलना चाहिए.” अपनी पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों के साथ-साथ सुभाष ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश पर भी उनकी सुनवाई न करने का आरोप लगाया और न्यायालय के एक अधिकारी ने न्यायाधीश के सामने उन पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया.

सुभाष ने आगे उन घटनाओं का भी वर्णन किया, जिन्होंने उन्हें ऐसा कदम उठाने के लिए उकसाया. सुभाष ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उन्होंने अपने कथित उत्पीड़न का वर्णन किया और अपने परिवार के सदस्यों से न्याय मिलने तक उनकी अस्थियों को विसर्जित न करने के लिए कहा, उनके सुसाइड नोट में उनके चार वर्षीय बेटे के लिए भी एक संदेश था, जिसके बारे में उनका दावा है कि उसे उनसे अलग रखा गया है. नोट में उनके माता-पिता को उनके बच्चे की कस्टडी देने की भी मांग की गई थी.

Sagar Dwivedi

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