Sahir Ludhianvi Poetry: वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन साहिर लुधियानवी की शायरी


प्रेरणादायक

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा.

रोना

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को, क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया.

इश्क़

तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही, तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ.

ज़िंदगी

देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से, चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से.

प्रेरणादायक

हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें, वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं.

इश्क़

ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ, मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया.

ज़िंदगी

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है, क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम.

नाश्ते में हर रोज क्या खाते हैं Yogi Adityanath? सीएम का सबसे प्रिय भोजन