Gulzar Ghazal : ‘हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते…’ पढ़िए गुलज़ार की शानदार ग़ज़ल


असली नाम

ग़ुलज़ार का असली नाम प्रसिद्ध सम्पूर्ण सिंह कालरा हैं.

ग़ज़ल

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते.

ग़ज़ल

जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन. ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते.

ग़ज़ल

लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो, ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते.

ग़ज़ल

जागने पर भी नहीं आँख से गिरतीं किर्चें, इस तरह ख़्वाबों से आँखें नहीं फोड़ा करते.

ग़ज़ल

शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा, जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते.

ग़ज़ल

जा के कोहसार से सर मारो कि आवाज़ तो हो, ख़स्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते.

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