Nida Fazli Sher : “कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता…” निदा फ़ाज़ली के फेमस शेर


इश्क़

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है, इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है.

फ़ेमस शायरी

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता.

आदमी

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना.

किताब

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो.

प्रेरणादायक

कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन, फिर इस के ब'अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर.

प्रेरणादायक

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो, चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे.

प्रेरणादायक

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए.

Begum Samru : कौन थी वह हसीन तवायफ? जिसके हुस्न के दीवाने थे अंग्रेज और मुगल