Gulzar Shayari : यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं…, गुलज़ार का ये आपके दिलों में करेगा राज!


उदासी

ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा, वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता.

माज़ी

यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं, सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी.

ख़ामोशी

ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी, उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी.

अब्र

गो बरसती नहीं सदा आँखें, अब्र तो बारा मास होता है.

ख़ौफ़

एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे, दिल से इक ख़ौफ़ सा गुज़रा है बिछड़ जाने का.

उजाला

भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में, उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं.

आँख

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं, मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ.

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