Rahat Indori Sher: बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए…राहत इंदौरी के फेमस शेर


सियासत

नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है.

तिश्नगी

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ.

दुनिया

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया, घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है.

ख़्वाब

ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे, नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो.

दवा

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए, मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए.

लौट आया

वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा, मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया.

ख़्वाहिश

मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे, मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले.

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