Parshuram Jayanti : गाजियाबाद, “बिटवीन द लाइन्स” प्रचलित शब्दावली है. बिटवीन द लाइन्स” का अर्थ है “लाइनों के बीच पढ़ना” या “अंतर्निहित अर्थों को समझना,” मतलब किसी बात में या किसी टेक्स्ट में जो सीधे नहीं कहा गया है, उसे समझने की कोशिश करना. सियासत में संवाद, संयम और संदेश का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. पत्रकार इन्हीं छुपे हुए संदेश को साधारण शब्दों में जनसामान्य के सामने परोस देते हैं. गाजियाबाद की बीजेपी टीम में द्वंद और टकराहट तो लखनऊ तक सर्वविदित है इस पर चर्चा बेमानी है. अन्य जिलों में भी नेता कभी इंडिया् टीम की तरह साथ जूझने वाले खिलाड़ी तो कभी आईपीएल मैच आपस में ही खेल रहे होते हैं. यह राजनीति का कूटनीतिक समीकरण होता है. गाजियाबाद, नोएडा पश्चिमी यूपी का आर्थिक केंद्र ही नहीं बल्कि सियासी केंद्र भी है. इसलिए सभी इसका नेतृत्व करने की महत्वकांक्षा पाले रखते हैं. भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम गाजियाबाद में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. इसके मुख्य अतिथि ऊर्जा व नगर विकास मंत्री ए के शर्मा बनाए गये थे. इस कार्यक्रम में सांसद अतुल गर्ग, मंत्री सुनील शर्मा, महापौर सुनीता दयाल, विधायक नंद किशोर गुर्जर, अजीत पाल त्यागी, संजीव शर्मा, महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल समेत करीब पचास से अधिक पार्षद उपस्थित थे. हंसते, गुनगुनाते, दौड़ भागकर उखड़ी-उखड़ी सांसों के बीच भी ठहाका लगाते लोग ठसाठस भरे स्टेडिएम से बाहर भी दिख रहे थे.
अब “बिटवीन द लाइन्स” समझिए क्या है? सीएम, पीएम या पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अलावे किसी कार्यक्रम में सभी गुटों की उपस्थिति पूरे सूबे को संदेश दे गया. सभी ने एक स्वर में ए के शर्मा को अपना अघोषित नेता माना. मौका क्या था. भगवान परशुराम जन्मोत्सव… कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से ब्राह्मण, त्यागी, भूमिहार शब्दों का बैनर में जिक्र था. पहला और स्पष्ट संदेश क्या निकला कि ए के शर्मा को ब्राह्मण, त्यागी, भूमिहार समुदाय अपना नेता स्वीकार कर रहा है. इस कार्यक्रम में पहले से स्थापित किसी ब्राह्मण कोटे से बनाए गये नेता की उपस्थिति नहीं थी.
दूसरा महत्वपूर्ण संदेश क्या निकला, जिले के कद्दावर सभी गुट ने ऊर्जा व नगर विकास मंत्री ए के शर्मा के लिए एकजुट दिखे. तीसरा महत्वपूर्ण संदेश देखिए, जिस कार्यक्रम बैनर पर ब्राह्मण, त्यागी और भूमिहार शब्दों का जिक्र था, उस कार्यक्रम में ए के शर्मा ने अपने भाषण में कहा, ” भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं फिर भगवान सबके हैं, भगवान परशुराम किसी जाति या समुदाय के नहीं हो सकते हैं.” फिर ब्राह्मण समुदाय को समाज में समदर्शी बताते हुए विशाल हृदय का स्वामी बताया.
कबीर के शब्दों में कहें तो बूझो-बूझो पंडित अमृतवाणी, बरसे कंबल भींजे पानी… अर्थात् मौका कोई हो, कैसा भी हो. किसी भी तरह सियासी जमावड़ा सियासी तीर छोड़ेगा ही, लेकिन इस कार्यक्रम में राजनीति की बातें बिल्कुल ना के बराबर हुईं. ऐसा लग रहा था जैसे आध्यात्मिक कार्यक्रम हो.
गजब का संयोग देखिए.. जिन लोगों को सहूलियत के लिए बनाया गया सिस्टम बिन पते की खत की तरह समझता है. समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वे लोग गाजियाबाद के वेब सिटी में ऊर्जा व नगर विकास मंत्री के स्वागत के लिए उमड़ पड़े. जाट व अनुसूचित जाति के लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया. महत्वपूर्ण संदेश देखिए, हिन्दू समाज में दो ध्रुव पर रहने वाला दो समुदाय आज ए के शर्मा को अपने सिर आंखों पर बैठा लिया. वजह क्या है, इस पर चर्चा फिर कभी. या ग्राउंड रिपोर्ट करने वाले सामाजिक विद्वान बताए और सोचें ऐसा क्यों हो रहा है?
करीब 1200 सौ से अधिक गाड़ियों का काफिला लिये जब ए के शर्मा यूपी गेट पर पहुंचे तो सैकड़ों की संख्या में उपस्थित महिलाओं ने ऐसा दुलार दिया जिसे ऊर्जा मंत्री को संभालना भावविभोर कर दिया होगा. गाजियाबाद जिले के हिंडन एयरबेस ब्रिज व हवाई चौराहे पर भीड़ कड़ी धूप में अपने नेता का इंतजार करते दिखी. पसीने से लथपथ ए के शर्मा माला पहन भी रहे थे और कार्यकर्ताओं को गले लगकर पहना भी रहे थे. सबसे गौर करने वाली बात यह रही कि हर चौराहे पर स्वागत करने वालों में महिलाओं की संख्या भारी रही. चौधरी चरण सिंह तिराहा( न्यू बस स्टैंड) पर ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा भगवान परशुराम और जय श्रीराम के नारे लगाए. सभी स्वागत करने वालों ने फूल माला के साथ आशीर्वाद से नवाजा. आर्य नगर, फव्वारा चौक हो चाहे आंबेडकर रोड (पुराना बस अड्डा) व कालका गढ़ी चौक पर ऊर्जा व नगर विकास मंत्री अपने दो मुठ्ठी को हवा में लहराकर जय श्री राम, जय परशुराम के जोरदार नारे लगाकर कार्यकर्ताओं की हौसलाअफजाई किये. स्वागत से भावविभोर होकर ए के शर्मा आम जनता, सभी बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं हाथ जोड़कर प्रणाम किये और धन्यवाद दिये.