UP News: अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में लगभग 25 से 30 साल से कार्य कर रहे तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं खत्म होने से उनके दैनिक जीवन में कठिनाइयों का पहाड़ टूट पड़ा है. माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र सिंह का कहना है कि 9 नवंबर 2023 को शासन द्वारा एक आदेश जारी किया गया जिसमें सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए तदर्थवाद को समाप्त करने के लिए 1993 से 9 नवंबर 2023 तक कार्यरत राजकोष से वेतन प्राप्त कर रहे सभी तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थी.
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थवाद के लिए सभी को दोषी ठहराया था जिसमे जिला विद्यालय निरीक्षक, शिक्षा निदेशक माध्यमिक, चयन बोर्ड शासन और सरकार सभी जिम्मेदार थे. कोर्ट ने तदर्थ शिक्षकों की लंबी सेवाओं को देखते हुए कहा कि इन तदर्थ शिक्षकों से अब तदर्थ रूप में कार्य नहीं लिया जा सकता. कोर्ट ने सभी तदर्थ को नियमित करने के उद्देश्य से अपने विशेषाधिकार धारा 142 का प्रयोग करते हुए चयन बोर्ड, सरकार और शासन को कोई भी नियन अधिनियम तोड़कर और भारांक देने की स्वतंत्रता प्रदान थी.
जिससे सभी अनियमित तदर्थ शिक्षकों को एकल परीक्षा के माध्यम से नियमित किया जा सके. ऐसा करने में चयन बोर्ड, शासन और सरकार असफल रही क्योंकि इनकी मंशा स्पष्ट नहीं थी कि यह सभी तदर्थ शिक्षक सफल हो सके परीक्षा के लिए जब प्रथम बार विज्ञापन निकाला था तो उसमें सभी तदर्थ शिक्षको को परीक्षा में बैठने के लिए कहा गया और अधिकतम भारांक 35 अंक का दिया गया था कुछ ही दिनों बाद चयन बोर्ड ने विज्ञापन निरस्त करके पुनः 4 महीने के बाद विज्ञापन निकाला. उन तदर्थ शिक्षको को बैठने के लिए कहा जाता है जिनकी नियुक्ति धारा 16 के तहत की गई है. अधिकतम भारांक को 35 अंक से घटकर 30 अक कर दियाठ जाता है जिसके कारण अधिकाश तदर्थ शिक्षक असफल हो गए.
अगर सरकार हम केवल विज्ञापन में एक लाइन जोड़ देती कि जो भी वदर्य शिक्षक आवेदन करेंगा उनको प्रथम वरीयता प्रदान की जाएगी. ऐसा करने से सभी तदर्थ शिक्षक अपने पदों पर समायोजित हो जाते हैं लेकिन ऐसा करने में शासन, सरकार और चयन बोर्ड असफल रहा जिसके कारण आज लगभग 2000 तदर्थ शिक्षको के घरों का चूल्हा बुझ गया है. प्रदेश महामंत्री सुशील शुक्ला का कहना है कि अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में विनियमितीकरण में हुए व्यापम भ्रष्टाचार को पाने के लिए अधिकारियों ने हम सभी तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी. जिसका खुलासा बहुत ही जल्द किया जाएगा. प्रदेश के सभी तदर्थ शिक्षक आज शिक्षा निदेशालय का घेराव करके अपनी सेवा बहाली की माग कर रहे हैं और यह मांग तब तक करते रहेंगे जब तक उनकी सेवाए बहाल न कर दी जाए.