Pahalgam Terror Attack : पहलगाम में हुए आतंकी हमले से क्षुब्ध पावन चिंतन धारा आश्रम के संस्थापक और राष्ट्रवादी विचारक डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ ने देशवासियों को संदेश देते हुए कहा कि पहलगाम में हुए 27 लोगों की जघन्य हत्याकांड की मैं भरसक निंदा करता हूँ. प्रभु उन्हें अपनी शरण में लें, उनके परिवारों को शक्ति दें और जो घायल हो गये हैं, उन्हें शीघ्र ही स्वस्थ करें.
उन्होंने कहा कि पहले मुर्शिदाबाद और अब कश्मीर ने यह दिखा दिया है कि हिन्दू कितना कमज़ोर है और अपने ही घर में किस तरह से सिमटा हुआ है. ये दहशतगर्द या तो पाकिस्तान से आए थे या फिर यहीं पर हमारे समाज में घुल मिलकर स्लीपर सेल की तरह रह रहे थे. दोनों ही स्थितियां बहुत चिन्ताजनक हैं कि हम उनका पता नहीं लगा पाए. कश्मीर के हालात सुधरने शुरू हुए ही थे कि इतना जघन्य हत्याकांड हुआ. इससे आतंकवादियों की तैयारियों का पता चलता है.
इस अवसर पर मैं हर उस व्यक्ति के दावों की निंदा करना चाहूंगा जो यह कहते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र है या ये कहते हैं मैं इसे हिन्दू राष्ट्र बनाऊंगा. बस मज़ाक़ बना के रख दिया है क्योंकि इस प्रकार के वाक्यों को बोलने से लोग उत्तेजित हो जाते हैं और ऐसे लोगों की जय जयकार हो जाती है लेकिन ज़रा आप सोच के देखिए, क्या आप राम नवमी का जुलूस निकाल सकते हैं बिना पुलिस की सहायता के? सोच के देखिए. क्या आप कहीं भी पण्डाल लगा सकते हैं? आपको अपनी रामायण यात्रा निकालने के लिए भी इजाजत लेने की लम्बी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है. संविधान के अनुसार सब बराबर हैं, ये मैं मानता हूँ लेकिन मैं ये भी मानता हूँ कि तुष्टिकरण क्यों? बार-बार, हर साल 2-3 बार हम तुष्टिकरण करके दिखा देते हैं कि हम आज भी बैकफुट पर हैं और वो फ्रंट फुट पर खेलते हैं, हिंदू राष्ट्र ऐसे नहीं बनता है. नारों से हिंदू राष्ट्र बनना होता, कथाओं पण्डालों में हिंदू राष्ट्र बनना होता तो बहुत पहले ही बन गया होता. राष्ट्रवाद का दुरुपयोग सामान बेचने में किया जाता है, क्या ये जायज़ है? हमारे ही लोग बिजनेस की धुन में पागल हो चुके हैं कि हलाल सर्टिफिकेट हासिल करके बिजनेस करते हैं और फिर भी दुर्भाग्य की बात है कि वो हिन्दू आइकॉन्स बने हुए हैं. स्थिति नाज़ुक ही नहीं बल्कि बहुत चिंताजनक है और हमारा युवा वर्ग सिर्फ़ नारे लगाता है वो भी सोशल मीडिया पर. कितने युवा हैं जो सामने आते हैं, हमारा युवा शराब आदि नशे और रिलेशनशिप में ही व्यस्त है, ये लोग देश के लिए क्या कुछ कर पायेंगे? जहाँ ये लोग थोड़े से सक्षम हुए, विदेश चले जाएंगे.
फ़िलहाल और कोई बात नहीं करके मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि इस जघन्य हत्याकांड की हर ओर से भर्त्सना होनी चाहिए, मुसलमानों की ओर से भी भर्त्सना होनी चाहिए. क्योंकि अगर वे लोग कहते हैं कि ये देश उनका भी है, तो मारे गये लोग भी उनके ही हैं. जय हिन्द.