Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे बड़ी चर्चा इन दिनों उन 10 वीआईपी सीटों को लेकर है, जिनके नतीजे सीधे तौर पर यह तय करेंगे कि पटना की गद्दी पर कौन बैठेगा। नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव? 243 सीटों की इस सियासी जंग में जनता का जोश चरम पर है और हर गली-मोहल्ले में बस एक ही सवाल है – “इस बार कौन?”
राघोपुर – तेजस्वी यादव (RJD)
लालू यादव का पारंपरिक गढ़ माने जाने वाले राघोपुर से तेजस्वी यादव लगातार तीसरी बार मैदान में हैं। यहां यादव-मुस्लिम समीकरण और युवाओं का जोश तेजस्वी के साथ दिख रहा है। एनडीए हर हाल में इस सीट को जीतकर आरजेडी का गढ़ तोड़ना चाहता है, क्योंकि इस सीट का नतीजा तेजस्वी के राजनीतिक भविष्य का संदेश बनेगा।
महुआ – तेज प्रताप यादव (जन शक्ति जनता दल)
लालू परिवार के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने इस बार अपनी नई पार्टी से महुआ से ताल ठोकी है। पिछली हार के बाद यह चुनाव उनके लिए सियासी वापसी की सबसे बड़ी परीक्षा है। यादव-मुस्लिम मतदाता यहां निर्णायक हैं। जीत की सूरत में तेज प्रताप न केवल अपनी छवि बचाएंगे बल्कि राजनीति में नई पहचान भी बनाएंगे।
तारापुर – सम्राट चौधरी (BJP)
एनडीए के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तारापुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट भाजपा की प्रतिष्ठा से जुड़ी है। यहां उनकी जीत न केवल एनडीए के मनोबल को बढ़ाएगी बल्कि नीतीश सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर भी मानी जाएगी।
लखीसराय – विजय सिन्हा (BJP)
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के लिए लखीसराय सीट सम्मान की परीक्षा है। यहां जातीय समीकरण और विकास दोनों फैक्टर हैं। विजय सिन्हा की जीत नीतीश-भाजपा गठबंधन के आत्मविश्वास को और मजबूत करेगी।
सिवान – मंगल पांडेय (BJP)
पूर्व मंत्री मंगल पांडेय पहली बार सिवान से मैदान में हैं। राजद के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में बीजेपी अपनी नई जमीन तलाश रही है। मंगल पांडेय की स्वच्छ छवि और मोदी फैक्टर भाजपा के लिए उम्मीद की किरण हैं।
इमामगंज – दीपा कुमारी (HAM)
जीतन राम मांझी की बहू दीपा कुमारी दलित और महिला सशक्तिकरण की मजबूत आवाज बनकर उभरी हैं। इस सीट पर हम पार्टी की साख और भविष्य दोनों दांव पर हैं। यहां जीत दलित राजनीति की दिशा तय करेगी।
बांकीपुर – नितिन नबीन (BJP)
पटना की सबसे शहरी सीट बांकीपुर से नितिन नबीन लगातार चौथी बार मैदान में हैं। युवा, व्यापारी और मध्यम वर्ग उनका मुख्य वोट बैंक है। उनकी जीत पटना में एनडीए की पकड़ को और मजबूत करेगी।
दरभंगा शहरी – संजय सरावगी (BJP)
मिथिला की राजनीति में दरभंगा का अहम रोल है। भाजपा नेता संजय सरावगी यहां से विकास और मिथिला गौरव के मुद्दे पर मजबूत दावेदार हैं। उनकी जीत उत्तर बिहार में भाजपा का प्रभाव और बढ़ा सकती है।
जोकीहाट (अररिया)
सीमांचल की यह सीट मुस्लिम बहुल इलाका है जहां ओवैसी की पार्टी AIMIM और आरजेडी के बीच जोरदार मुकाबला है। पिछले नतीजों ने पूरे सीमांचल की राजनीति बदल दी थी, इस बार फिर सबकी नजरें इसी सीट पर हैं।
नालंदा – श्रवण कुमार (JDU)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद मंत्री श्रवण कुमार नालंदा से चुनाव में हैं। यह सीट नीतीश की साख से जुड़ी है क्योंकि नालंदा उनका गृह जिला है। श्रवण कुमार की ईमानदार छवि और विकास कार्यों के चलते एनडीए को यहां बढ़त मिलने की उम्मीद है।
