हरियाणा में एडीजीपी (2001 बैच के आईपीएस अधिकारी) वाई पूरन कुमार की मौत के पांच दिन बाद भी उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. परिवार ने अब तक पोस्टमॉर्टम के लिए सहमति नहीं दी है. बीते मंगलवार को उन्होंने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. इस घटना ने पूरे राज्य की पुलिस व्यवस्था और नौकरशाही में हलचल मचा दी है.
डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा और आईजी पुष्पेंद्र कुमार खुद उनके परिजनों से मिलने पहुंचे और उन्हें पोस्टमॉर्टम की सहमति देने के लिए समझाने की कोशिश की. सूत्रों के मुताबिक, परिवार की अनुमति के बाद ही यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. फिलहाल, पोस्टमॉर्टम से पहले शव परिवार को दिखाया जाएगा.
पत्नी ने उठाए एफआईआर पर सवाल, कहा- “सभी अभियुक्तों के नाम दर्ज किए जाएं”
वाई पूरन कुमार की पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार, ने पुलिस को लिखित पत्र भेजकर एफआईआर में अधूरी जानकारी दर्ज होने पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि एफआईआर में सभी आरोपितों के नाम स्पष्ट रूप से शामिल किए जाने चाहिए. इस मामले में हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारिया समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारिया पद से हटाए गए
पूरन कुमार की आत्महत्या से जुड़े मामले में नाम आने के बाद रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारिया को उनके पद से हटा दिया गया है. अब उनकी जगह सुरिंदर सिंह भोरिया को नया एसपी नियुक्त किया गया है. बिजारिया को फिलहाल किसी नई तैनाती नहीं दी गई है.आम आदमी पार्टी (AAP) के बठिंडा से विधायक और पूरन कुमार की पत्नी के भाई अमित रतन ने गंभीर आरोप लगाए हैं.
उन्होंने कहा कि ‘परिवार की असहमति के बावजूद श्री पूरन कुमार का पोस्टमॉर्टम जबरन कराया जा रहा है. हमारे साथ धोखा हो रहा है. पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन हमें अभी तक इंसाफ नहीं मिला.”उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने परिवार की अनुमति के बिना शव को शिफ्ट कर दिया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है.
SIT करेगी जांच, डॉक्टरों का पैनल करेगा पोस्टमॉर्टम
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पूरन कुमार के पोस्टमॉर्टम के लिए डॉक्टरों का एक विशेष पैनल बनाया जाएगा. साथ ही, चंडीगढ़ पुलिस ने 6 सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया है, जिसकी अगुवाई आईजी पुष्पेंद्र कुमार करेंगे.कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने अमनीत कुमार को पत्र लिखकर कहा कि, “पूरन कुमार की मौत यह याद दिलाती है कि आज भी वरिष्ठ दलित अधिकारी सामाजिक समानता से वंचित हैं. उनकी देशभक्ति और निष्ठा हमें प्रेरित करती रहेगी.”
वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, और राहुल गांधी ने तत्काल न्याय की मांग की है. दलित संगठनों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन करते हुए डीजीपी, एसएसपी और अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा.
आत्महत्या नोट में लगाए गंभीर आरोप
7 अक्टूबर को वाई पूरन कुमार ने अपने चंडीगढ़ स्थित आवास पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. उनके पास से 9 पन्नों का सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें उन्होंने 12 वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव के आरोप लगाए हैं.
नोट में उन्होंने लिखा कि एक डीजीपी-रैंक अधिकारी बार-बार उन्हें अनुचित नोटिस भेजकर परेशान करता था. उन्होंने कई आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के नाम लिए, जिन पर प्रशासनिक हस्तक्षेप, जातीय भेदभाव और एसीआर में पक्षपात का आरोप है. नोट में यह भी उल्लेख था कि वे अपनी संपत्ति पत्नी अमनीत पी. कुमार के नाम करना चाहते हैं.
नौकरशाही में संकीर्ण मानसिकता पर उठे सवाल
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि ‘आज नौकरशाही में संकीर्ण मानसिकता बढ़ती जा रही है. सत्ता में बैठे लोगों ने जाति और धर्म के आधार पर असहिष्णुता को बढ़ावा दिया है. एक ईमानदार और मेहनती अधिकारी इसी असहिष्णुता की भेंट चढ़ गया.”