विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को न्यूयॉर्क में चल रहे संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस मौके पर उन्होंने पाकिस्तान को नाम लिए बिना निशाने पर लिया और उसे आतंकवाद का गढ़ बताया। जयशंकर ने कहा कि उनका देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को अपनी सबसे बड़ी प्राथमिकता मानता है और यह चुनौती भारत के लिए आजादी के बाद से ही लगातार बनी हुई है।
आतंकवाद पर जोर: भारत की चुनौती और पड़ोसी पर कटाक्ष
जयशंकर ने आतंकवाद को कट्टरता, हिंसा, असहिष्णुता और भय का मिश्रण बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जैसे देश से कभी भी बड़े आतंकवादी हमले हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दशकों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितने भी बड़े आतंकवादी हमले हुए हैं, उनमें पाकिस्तानी नागरिकों का हाथ रहा है। संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में भी कई पाकिस्तानी नागरिक शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले का जिक्र
जयशंकर ने इस साल अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि निर्दोष पर्यटकों की हत्या इस पड़ोसी देश की सीमा पार की बर्बरता का नया उदाहरण है। उन्होंने बताया कि भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई की और आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया।
भारत की सुरक्षा और अधिकार
विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद से मुकाबला करना भारत का अधिकार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अपनी सीमा और लोगों की सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी की।