देश के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव मंगलवार को होने जा रहा है और लगभग तय माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) इस चुनाव में जीत दर्ज करेगा। हालांकि इस बार जीत का अंतर 2022 जितना बड़ा नहीं रहने की संभावना जताई जा रही है. सूत्रों का कहना है कि NDA हर एक वोट पर पैनी नजर बनाए हुए है, क्योंकि विपक्ष ने भी इस बार संख्या बल में मजबूती दिखाई है.
उपराष्ट्रपति का चुनाव सभी सांसदों के गुप्त मतदान से होता है. नियमों के मुताबिक सांसद अपनी पार्टी लाइन से हटकर भी वोट डाल सकते हैं, और अतीत में कई बार क्रॉस-वोटिंग होती रही है। इस बार भी क्रॉस-वोटिंग की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है.
NDA के नंबर और बढ़त
लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर कुल 781 सांसद वोट डालने के हकदार हैं, और जीत के लिए 391 वोटों की जरूरत है. NDA के पास फिलहाल 425 सांसदों का समर्थन है। BJP ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। कागज पर उनका जीतना तय माना जा रहा है.
YSR कांग्रेस पहले ही NDA उम्मीदवार का समर्थन घोषित कर चुकी है। इस पार्टी के पास लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर 11 सांसद हैं. वहीं, BRS और BJD का रुख अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि BJD से NDA को समर्थन मिलने की संभावना है, जबकि BRS के अब्सटेन करने की उम्मीद जताई जा रही है. अगर BRS और BJD भी समर्थन नहीं करते तो भी NDA के पास 436 वोट सुरक्षित माने जा रहे हैं, और यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है.
विपक्ष की स्थिति और रणनीति
कांग्रेस नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है. विपक्ष के पास इस बार कुल 324 वोट हैं। पिछले चुनाव के मुकाबले विपक्ष इस बार मजबूत है, लेकिन जीत के लिए जरूरी आंकड़े से अभी भी 70 से 100 वोट पीछे है. सूत्रों का कहना है कि विपक्ष इस चुनाव में जीत की उम्मीद नहीं कर रहा, बल्कि अपनी ताकत दिखाने और आने वाले विधानसभा चुनावों बिहार, बंगाल और तमिलनाडु में राजनीतिक गति हासिल करने के लिए मैदान में उतरा है.
क्रॉस-वोटिंग और अहम समीकरण
2022 में जगदीप धनखड़ ने 528 वोटों के साथ भारी जीत दर्ज की थी, जिसमें YSR कांग्रेस और BJD का महत्वपूर्ण योगदान रहा. इस बार भी NDA को विपक्ष के खेमे से क्रॉस-वोटिंग मिलने की उम्मीद है.सूत्रों के मुताबिक, सिर्फ राज्यसभा में ही कम से कम 150 क्रॉस-वोट NDA के पक्ष में जा सकते हैं.इसके अलावा AAP सांसद स्वाति मालीवाल, कुछ निर्दलीय सांसद और अकाली दल जैसे छोटे दल भी इस चुनाव को और दिलचस्प बना सकते हैं.यदि सब NDA के पक्ष में वोट डालते हैं तो राधाकृष्णन को करीब 458 वोट मिल सकते हैं.यह संख्या धनखड़ की जीत से कम जरूर होगी, लेकिन नतीजे पर कोई असर नहीं डालेगी.
चुनाव प्रक्रिया कैसे होती है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव चुनाव आयोग की देखरेख में होता है.किसी भी उम्मीदवार को नामांकन के लिए कम से कम 20 प्रस्तावक और 20 समर्थक चाहिए होते हैं, साथ ही ₹15,000 की सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करनी होती है। सांसद गुप्त मतदान के जरिए उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में वोट देते हैं.साधारण बहुमत पाने वाला उम्मीदवार विजयी घोषित होता है.