जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने रविवार को इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह फैसला लगातार दो चुनावों में हार और पार्टी में बढ़ते विरोध को देखते हुए लिया। उनके इस्तीफे के बाद सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) अब नए नेता की तलाश में जुट जाएगी।
68 साल के इशिबा ने पिछले साल अक्टूबर में पद संभाला था। शुरुआत में उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार किया था और कहा था कि इस समय जापान को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे – अमेरिकी टैरिफ, महंगाई, चावल की नीति में सुधार और बढ़ता क्षेत्रीय तनाव। लेकिन लगातार चुनावी हार और संसद के दोनों सदनों में बहुमत खोने से उनकी स्थिति बहुत कमजोर हो गई थी।
इशिबा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला कर लिया है और महासचिव को नए नेता चुनने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। उनका इस्तीफा पार्टी में नेतृत्व चुनाव से ठीक एक दिन पहले आया, जिसे उनके खिलाफ अविश्वास की तरह देखा जा रहा है।
पार्टी के बड़े नेताओं और मंत्रियों ने भी उनसे इस्तीफा देने की मांग की थी। शनिवार को इशिबा ने कृषि मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी और पूर्व प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा से मुलाकात की, जहां दोनों ने उन्हें पद छोड़ने की सलाह दी।
अब एलडीपी एक आपातकालीन नेतृत्व चुनाव करेगी। इसमें शिंजिरो कोइज़ुमी और साने ताकाइची को सबसे बड़े दावेदार माना जा रहा है। इशिबा ने पिछले साल ताकाइची को बहुत कम अंतर से हराया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए प्रधानमंत्री जल्दी चुनाव करा सकते हैं। हालांकि एक सर्वे में 55% जापानी जनता ने कहा कि अभी चुनाव कराने की ज़रूरत नहीं है।
प्रधानमंत्री के तौर पर इशिबा का आखिरी बड़ा काम अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करना रहा। इस समझौते से जापानी वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ घटा दिए गए और इसके बदले में जापान ने 550 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया। उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को पत्र लिखकर दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने की उम्मीद भी जताई थी।